बेटी पराई नहीं होती
ईश्वर ने क्या खूब बेटी को बनाया है
उस खुदा ने क्या उसके हिस्से का घर बनाया है?
मां बाप कहे तुझे पराए घर जाना है वहां तुझे अपना घर बसाना है
ससुराल में कहे तू पराए घर से आई है यह घर क्या तू उस घर से लाई है?
ए खुदा तू बता उसके हिस्से का कौन सा घर तूने बनाया है?
क्यों तूने इस दुनिया में यह क्या रीत बनाई है
क्यों सब कहे बेटी को तू पराई है
बेटीतो वहआंगन कीचिड़िया हैजो हर किसी के आंगन में नहीं चहकती
बेटी तो वह लक्ष्मी है जो बड़े सौभाग्य से हैं मिलती
बेटी कोई पराई नही वह तो अपनी है
जिसके घर बेटी होती है वही खुशियां बरसती है
फिर यह दुनिया बेटी को फिर क्यों पराई कहती है
** नीतू गुप्ता