— बेटी जैसी रौनक कहाँ —
घर के आँगन में अगर
बेटी नजर न आये तो
घर में रौनक कभी
नजर नही आती है
बेशक कुछ देर इधर उधर हो
तो थोडा सा सहा भी जाता है
वो कई दिन नजर ना आये तो
वो सहा ही नही जाता है
चिडिया की जैसी चू चू करती
उस की बातें प्यारी लगती हैं
घर आँगन में चलती फिरती
सब से न्यारी वो लगी है
पल में रूठना, पल में मान जाना
कभी जिद भी नही करती हैं
कितनी प्यारी होती हैं बेटियाँ
ये सब के दिलों में बसा जो करती हैं !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ