बेटी घर संसार
** बेटी घर संसार **
*****घनाक्षरी*****
घर मे है चहकती।
फूलों सी हैं महकती।।
आंगन हो सूना सूना।
बेटी घर संसार।।
नन्ही नन्ही चिड़िया हैं।
खुशियों की पुड़िया है।।
घर होता अधूरा सा।
सुता ही परिवार।।
सभी का मन मोहती।
माँ का है दुख खोलती।।
लक्ष्मी रूप है मानते।
पुत्री से ही त्योहार है।।
बेटा जब हो नकारा।
कन्या बनती सहारा।।
मनसीरत है सहती।
निलय का आधार।।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)