“बेटी “(घनाक्षरी)
“बेटी ”
आन बान मान बेटी, सबकी हैं शान बेटी।
हर जगह बेटी का, सम्मान होना चाहिए।
घर भी चलायें बेटी, वंश भी बढ़ाये बेटी।
बेटियों का अब सारा, जहान होना चाहिए।
खुशियों को लायें बेटी, गमों को भगायें बेटी।
बेटियों के लबों पर, मुस्कान होना चाहिए।
हर दर्द सहे बेटी, आह भी न करे बेटी।
बेटियों की भी जी अब, जुबान होना चाहिए।
स्वरचित
रामप्रसाद लिल्हारे “मीना “