● एक बेटी की चाहत ●
आई हूँ इस दुनिया में
कुदरत की चाहत से,
फिर मुझको भी तो
जी लेने दो ना पापा ।
मेरे कोमल अंगो में
खून आपका दौड़ रहा
फिर यूँ कतरा-कतरा मुझे
मत कटवाओ ना पापा ।
बेटे की चाहत में
बेटियाँ मारी जाती है,
पर तुम तो मुझको
मत मारो ना पापा ।
वहशी भेड़ियों की नजरें
गर ताकेगीं मुझको,
तो शेरनी बनकर
झपट पड़ूगीं पापा ।
लोक लाज और समाज
सब पर नजर रखूंगी,
आपका सर कभी भी
झुकने न दूंगी पापा ।
आपकी हर मुसीबत में
डटकर साथ रहूँगी,
पर मुझको अपनी मुसीबत
मत समझो ना पापा ।