Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Sep 2020 · 2 min read

बेटी की चाहत

संस्मरण
———–
बेटी की चाहत
************
आज के दौर में भी जब बेटी बेटा एक समान का ढोल पीटा जा रहा है ,तब 2002 में मेरी बड़ी बेटी का जन्म हुआ।बेटी के जन्म से मेरी बेटी की इच्छा पूरी। हो गई।क्योंकि मुझे बेटियों से कुछ अधिक ही लगाव शुरू से था।मेरी भतीजी बहुत छोटेपन से ही कई बार मेरे साथ हफ्तों हफ्तों तक मेरे पास रह जाती थी।ये मेरे पढ़ाई के समय की बात है,जब मैं कमरा लेकर किराए पर रहता था।
मेरी बड़ी बेटी के जन्म के पूर्व मेरी पत्नी भी बेटे की ही। इच्छा रखती थी।जैसा की हर नारी की कामना होती है।सास बन जाने के ये सदइच्छा कुछ अधिक ही प्रबल हो जाती है।खैर….।
लेकिन मेरी पत्नी महिलाओं/लड़कियों के साथ हो रही घटनाओं और दहेज की भेंट चढ़ रही बेटियों के खौफ के कारण था।उनका आज भी मानना है कि बेटियों की परवरिश से अधिक चिंता उनकी सुरक्षा को लेकर होता है।बेटी के माता पिता में हर समय एक अजीब सा सुरक्षा भाव होता है। बात सही भी है,क्योंकि अब हालात जिस तरह हो रहे हैं,उसमें यह डर स्वाभाविक है।विशेष रूप से माँओं के लिए।
फिर एक विडम्बना ये भी है कि बेटा नहीं होगा तो अंतिम संस्कार कौन करेगा?मोक्ष कैसे मिलेगा?मुझे अभी तक समझ नहीं आया कि बेटे की चाह हम जीवन काल के लिए कम,दाह संस्कार कराने के लिए अधिक करते हैं।आखिर बेटियों के दाह संस्कार करने से कौन सा पहाड़ टूट जाता है या जायेगा।आखिर हम ही उनकी भी परवरिश करते हैं,पढ़ाते लिखाते हैं,शादी ब्याह करते है,फिर भी उनको इस दायित्व के योग्य भी नहीं मानते हैं।मैंनें अपनी इच्छा अपनी बेटियों को बता दिया है कि मेरा दाह संस्कार वे ही करें।
मैं समझ नहीं पा रहा हूँ कि आज बेटियां ही नहीं होंगी तो कल बेटा कहाँ से आयेगा।
फिलहाल मेरे पास दो बेटियां हैं और वे ही मेरे लिए सब कुछ हैं,मुझे कभी भी यह विचार नहीं आया कि काश एक बेटा भी होता।मैं अपनी बेटियों के हर सपने को पूरा होने के हर कदम पर मजबूत दीवार की तरह उनके साथ हूँ, जितना अधिकतम संभव हो सकता है,मैं उनके हर सपने के साथ खड़ा हूँ।मुझे अपनी बेटियों पर,उनकी सफलताओं पर गर्व है।
सच कहूँ तो बेटियों का बाप होकर मैं खुद को गौरवान्वित महसूस करता हूँ।
■ सुधीर श्रीवास्तव

Language: Hindi
311 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जो तेरे दिल पर लिखा है एक पल में बता सकती हूं ।
जो तेरे दिल पर लिखा है एक पल में बता सकती हूं ।
Phool gufran
4432.*पूर्णिका*
4432.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सपनों के उस बस्तर में
सपनों के उस बस्तर में
Dr. Kishan tandon kranti
* बाल विवाह मुक्त भारत *
* बाल विवाह मुक्त भारत *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
दिल पे कब मेरा इख़्तियार रहा ।
दिल पे कब मेरा इख़्तियार रहा ।
Dr fauzia Naseem shad
कुर्सी
कुर्सी
Bodhisatva kastooriya
*अवध  में  प्रभु  राम  पधारें है*
*अवध में प्रभु राम पधारें है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
संविधान में हिंदी की स्थिति
संविधान में हिंदी की स्थिति
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
* नाम रुकने का नहीं *
* नाम रुकने का नहीं *
surenderpal vaidya
15--🌸जानेवाले 🌸
15--🌸जानेवाले 🌸
Mahima shukla
भोजपुरी गाने वर्तमान में इस लिए ट्रेंड ज्यादा कर रहे है क्यो
भोजपुरी गाने वर्तमान में इस लिए ट्रेंड ज्यादा कर रहे है क्यो
Rj Anand Prajapati
Untold
Untold
Vedha Singh
खिड़कियाँ -- कुछ खुलीं हैं अब भी - कुछ बरसों से बंद हैं
खिड़कियाँ -- कुछ खुलीं हैं अब भी - कुछ बरसों से बंद हैं
Atul "Krishn"
झरते फूल मोहब्ब्त के
झरते फूल मोहब्ब्त के
Arvina
ये दिल न जाने क्या चाहता है...
ये दिल न जाने क्या चाहता है...
parvez khan
हमने गुजारी ज़िंदगी है तीरगी के साथ
हमने गुजारी ज़िंदगी है तीरगी के साथ
Dr Archana Gupta
दोस्ती : कल और आज
दोस्ती : कल और आज
Shriyansh Gupta
जहां सीमाएं नहीं मिलती
जहां सीमाएं नहीं मिलती
Sonam Puneet Dubey
मन तो मन है
मन तो मन है
Pratibha Pandey
भानू भी करता है नित नई शुरुवात,
भानू भी करता है नित नई शुरुवात,
पूर्वार्थ
मन का चोर अक्सर मन ही बतला देता,
मन का चोर अक्सर मन ही बतला देता,
Ajit Kumar "Karn"
जन्म जला सा हूँ शायद...!
जन्म जला सा हूँ शायद...!
पंकज परिंदा
परिंदे अपने बच्चों को, मगर उड़ना सिखाते हैं( हिंदी गजल)
परिंदे अपने बच्चों को, मगर उड़ना सिखाते हैं( हिंदी गजल)
Ravi Prakash
क्षणिकाएं
क्षणिकाएं
Suryakant Dwivedi
मुझे आज तक ये समझ में न आया
मुझे आज तक ये समझ में न आया
Shweta Soni
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelofar Khan
मौसम तुझको देखते ,
मौसम तुझको देखते ,
sushil sarna
..
..
*प्रणय*
प्रेम की मर्यादा
प्रेम की मर्यादा
singh kunwar sarvendra vikram
*संवेदना*
*संवेदना*
Dr. Priya Gupta
Loading...