बेटी की कहानी ##
बेटी ||
ऐसी कहानी एक बेटी की होती है !!
एक माँ जब अपनी बेटी की शादी कर देती हैं !!
तब उसका हक खत्म हो जाता हैं !!
ऐसा ही समाज के लोग सोचते हैं !!
क्यों ऐसा होता हैं !!
माँ जब नौ महीने अपने पेट में रखती हैं !!
इतनी तकलीफ सह कर जन्म देती !!
अपनी जान से ज्यादा प्यार करती हैं !!
थोड़ी सी भी उदास नही देख सकती अपनी बेटी को !!
एक परी की तरह अपने माँ के घर मे रहती हैं!!
एक माँ अपनी बेटी के लिए कितने सपने देखती है !!
अपनी बेटी को दुनिया की हर खुशी देना चाहती है !!
बेटी को पढ़ा लिखा कर उसके पैर पर खड़ा करती हैं !!
उसको कामयाब बनाती हैं !!
फिर शादी करती हैं !!
अपने शरीर के टुकड़े को किसी अनजान के हाथों सौंप देती हैं !!
और खुद पराई बन जाती हैं !!
और अब एक माँ का इतना भी हक नहीं रहता की वो !!
अपनी बेटी के लिए कोई फैसला ले सके !!
और बेटी को भी इतना हक नही होता की वो अपनी माँ से मिलने जब चाहे आ जाऐ !!
अगर कोई दामद अच्छा मीला तो अपने सास ससुर को अपने माँ बाप की तरह सम्मान देता हैं !!
वरना नहीं मीला तो माँ घुट घुट कर मर जाती हैं !!
अपनी बेटी को खुश देखने के लिए !!
ऐसा समाज देख कर ही लोग बेटी को जन्म लेने से !!
पहले ही मार देते !!
ऐसे समाज को कभी सभ्य नहीं कहा जा सकता जहाँ एक बेटी को खुश रहने ना दिया जाऐ !!
उसकी खुशियों का गला घोट दिया जाता है !!
सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए ऐसे लोग इंसान नहीं है !!
कभी माफ नहीं किया जा सकता ऐसे लोगों को !!
बेटी को तो बेटो से ज्यादा प्यार मीलना चहीऐ !!
बेटा एक घर बसाता हैं !!
और बेटीयाँ दो घरो को सम्भालती हैं !!
अपने माँ बाप को छोड़ कर एक अजनबी के घर को आपना समझती है !!
मत तोड़ो उनके सपनो को जिने दो उन्हे भी !!
जब तुम उन्हे खुश रहने दोगे तब वो तुम्हारी जिंदगी खुशियों से भर देगी !!
किसी के सपने तोड़ कर तुम खुश नहीं रह पाओगे !!
उपर वाले से डरो !!
बेटी बहु माँ बहन !!
सबका सम्मान करना सीखो !!
अपने आप को मर्द होने का इतना फायदा मत उठाओ !!
की औरत तुम्हे अपना रक्षक नहीं भक्षक समझने लगे !!
बेटी बचाओ और पढ़ाओ फिर उसे आगे बढ़ाओ !!
मीना सिंह राठौर ||