बेटी की आवाज़
मां के अंदर से बोली,
उसकी अजन्मी बेटी,
मां !तुम कुछ तो धीरज धरा करो,
जीने नहीं देंगे मुझे ये लोग,
इस बात से तुम ना डरा करो।
मुझे बचाने की खातिर मां,
तुम्हें अंतर्मन जगाना है,
जी जाऊंगी मैं तेरी खातिर,
आत्मविश्वास जगाना है।
चाहे कोई कुछ भी कह दे,
तुम ही मुझे बचा सकती हो,
अंश हूं मां ,मैं तेरा ही,
मुझको मां महसूस करो,
तेरे जीवन में मैं मां,
खुशी की कली सी खिल जाऊंगी।
तेरी गोद का पाकर स्नेह मैं,
जीवन सी मुस्काऊँगी,
बड़ी हुई तो शिक्षा पाकर,
नाम रोशन तेरा कर जाऊंगी,
तेरा सहारा बनकर मां मैं,
बेटी नहीं,तेरा बेटा बनकर दिखलाऊंगी।।
✍माधुरी शर्मा ‘मधुर’
अम्बाला हरियाणा। (21.09.19)
11:40pm शनिवार