बेटी…….. एक प्रेरणा (कविता)
दुनिया का एक ऐसा आदर्श होती है बेटी।
मानवता की एक नई पहचान होती है बेटी।।
छोड़ देते अकेला जब-जब माँ-बाप को बेटे
बुढापे का उनके एक सहारा होती है बेटी।।
बन जाती ये कभी कल्पना, सानिया मिर्जा।
सफलता की एक परिभाषा होती है बेटी।।
हरा देती ये हर परिस्थितियो को ये यारों।
संकल्प का ऐसा प्रतिबिन्व होती है बेटी।।
बनती जब ये किरन बेदी, इन्दिरा गांधी।
हर इम्हान का विजयध्वज होती है बेटी।।
बनी जब ये रानीलक्ष्मीबाई, सुल्तान रजिया।
दुर्गा, काली का एक अवतार होती है बेटी।।
इतिहास लगता है अधूरा इनके नाम बिन।
कामयावी का नया अध्याय होती है बेटी।।
जो बनती है सम्पूर्ण जग की करनधार।
क्यो फिर गर्भपात का शिकार होती है बेटी।।
मोहित शर्मा ‘‘स्वतन्त्र गंगाधर’’