बेटी।
बेटी है जगत की सृजन हार। बेटी है जीवन का आधार। बेटी के बगैर सूनाहै संसार बेटी है लक्ष्मी का अवतार। कभी बनी बेटी तेरी, कभी बनी मां है तेरी।। जीवन का है हार। बेटी है जगत की सृजन हार। कभी दुर्गा कभी काली बन कर करती है संहार। बेटी है जगत की सृजन हार।।