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20 Jan 2017 · 1 min read

बेटिय़ों को भी माँ के कोख में बेफिक्र पलने दो।

भ्रूण हत्या : कविता ( चतुष्पदी )

मत करो इस धरती को बंजर तुम, तनिक हरीतमा इसके अंचल में रहने दो,
बेटे बेटी का अनुपात ना बिगड़े कभी, नियति को उसके विधान से चलने दो।
बहुत घृणित पाप है, ये भ्रूण हत्या, ये अनर्थ धरा पर तनिक भी नहीं होने दो, ,
पुत्री प्रकृति की एक अनुपम कृति हैं, उसको भी बेखौफ माँ की कोख में पलने दो।

: सतीश वर्मा,
मुम्बई/20.01.2017

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