बेटियों के सपनों को दें उड़ान
भारत में बेटियों को लेकर एक खास रूढ़िवादी सोच रही है. बड़े शहरों मे तो यह सोच काफी बदली है लेकिन छोटे शहरों में अभी भी लोग बेटियों को खास तवज्जो नहीं देते. इसी रूढ़िवादी सोच को मिटाने के लिए भारत में डाटर्स डे मनाना शुरू किया गया. इस दिन को बनाने का उद्देश्य यह है लोगों के मन से यह भ्रांति दूर की जाए कि बेटी बोझ है. हालांकि यह निर्धारित नहीं है भारत में किस साल से डाटर्स डे मनाने की शुरुआत की गई. डाटर्स डे के माध्यम से लोगों को यह याद करने का मौका होता है कि बेटियां उनके लिए कितनी महत्वपूर्ण हैं.
बेटी दिवस परिवार की सभी लड़कियों और महिलाओं को सम्मानित करने का खास दिन है. दरअसल, भारत में बेटियों को लक्ष्मी का दर्जा दिया गया है. ऐसे में उन्हें बेटों से कम आंकने की बजाय उनका सम्मान करना चाहिए. इस दिन माता-पिता अपनी बेटियों को तोहफे देतें है, उनके लिए सरप्राइज प्लान करके इस दिन को खास बनाने की कोशिश करते हैं. यहां यह कहना गलत नहीं होगा कि बेटी दिवस माता-पिता और बेटियों के बीच रिश्ते को मजबूत बनाने का एक बहुत ही खास दिन है.
बेटियों के लिए खास दिन की जरूरत इसलिए हुई क्योंकि हमारे समाज में आज भी बेटियों को कमतर आंका जाता है. धीरे-धीरे डॉटर्स डे मनाने का ट्रेंड बढ़ा और इससे यह बात सामने आती है कि वक्त बदल रहा है. लोग बेटियों के होने की खुशी को सेलिब्रेट कर रहे हैं और परिवार के लोग बेटियों के साथ मिलकर इस दिन को एंजॉय करते हैं.