*बेटियों के बाप*
बेटियों के बाप हैं तो क्या प्राणों की सांस उनमें बसती हैं।।
पाके गोद हंसती है वो जैसे आंगन में किरण हंसती है।।
हमें कितना वेशुमार प्यार दिया हमारी इस किस्मत ने
उन्हें हमारे लिए,हमें उनके लिए,अजीब धार रसती है।।
दुनिया कैसी वावली है तायना देती हैएक ऐसे बाप को
कितने रिश्ते बसे हैं बेटियों में फिर भी बेटी से बचती है।।
बेटियों की ताक़त कम मत समझना औलाद वालो
उन्हीं में रमाँ ,रश्मियां उन्ही में,वो सरस्वती भी बस्ती है।।
घर अपना हो या पराया ,बेटियां नहीं तो खाली रहता है
जानते हो जिनके ना बेटा है ना बेटी रात कैसे डसती है।।
घर अधूरा रहता है बेटी के बिना वेशुमार दौलत का
बेटों को भी महीनों ही’साहब’माँ अपने पेट में रखती है।।