बेटियों की जिंदगी
बेटियों की जिंदगी आसान नहीं होती
बेटों से बेटियां कभी कम नहीं होती
फिर भी इन्हें कम समझा जाता है क्यों
कहने को तो बेटियां बराबर है आज
बेटों के संग तथा आगे बढ़ रही है बेटियां
फिर भी आज इन्हें दबाया जाता है क्यों
बेटियों की दर्द मां अर्थात बेटी ही समझती
बेटी बन जीना आसान नहीं होती,
बेटियों की जिंदगी आसान नहीं होती ।
आज बेटियां पिछड़ी हुई है कहां
फिर भी इनके जन्म पर अक्सर
माता – पिता मायूस होते हैं क्यों
बेटियों को पालना लगता है बोझ क्यों
क्या कमी और क्या खामियां हैं बेटियों में
जो बेटियों के लालन-पालन से डरते हैं लोग
बेटियों के साथ ऐसा अक्सर होता है क्यों
बेटी बन जीना आसान नहीं होती,
बेटियों की जिंदगी आसान नहीं होती ।
बेटियां आज क्या नहीं कर सकती हैं
क्यों नहीं बन सकती फिर से वो झांसी
श्रम कर पहुंच रही आज शिखर पर बेटियां
कुछ बेटियां तो इस भीड़ में उलझी रह जाती
अन्यथा बेटी कहां पिछड़ी हुई है बेटो से
अक्सर बेटियों को घरवाले समझते हैं पराया
ससुराल में इन्हें कहते ये तो पराये घर से आई है
बेटी बन जीना आसान नहीं होती,
बेटियों की जिंदगी आसान नहीं होती ।
लेखक:- अमरेश कुमार वर्मा