बेटियों की किस्मत
बेटियां क्यों इतनी प्यारी हैं ,
कैसे यह सब की राज दुलारी है।
क्यों जीना सिखा देती है ,
यह सबको हंसकर ।
फिर भी ये सब की आंखो,
में एक दिन बहने लगती हैं,
आंसू बनकर।
बच्चन तो इनका बहुत,
ही सुन्दर है।
पर न जानें क्यों बड़ा,
होने पर जीवन इनका समुंद्र है।
क्या गिला करे ये भगवान से,
इनकी तो परीक्षा ही शुरू हुई,
भगवन श्री राम से।
यदि उस समय”सिया”पर,
श्री राम ने विश्वास किया होता।
तो आज कोई न नारी को,
अग्नि परीक्षा देने को कहता।
उतारी है ये भगवान ने जमी पर,
परी सी बनाकर।
लेकिन न जाने क्यों वो रह,
जाती है एक नगमा सा गुनगुनाकर।
किसी घर में मानी जाती है ये,
देवी का रूप।
तो किसी घर में मार दिया जाता है,
इन्हें समझकर आने वाले,
दुखों की धूप।