बेटियों का मन
बच्चो की एक कविता है
मछली की कहानी कहती है
मछली जल की रानी है
जीवन उसका पानी है
हाथ लगाओ तो डर जाएगी
बाहर निकालो तो मर जाएगी
ये कविता आज, मछली से ज्यादा,
बेटियो का हाल सुनाती है
दुष्कर्मी के मन के मैल, का
सारा वृतान्त बताती है
हम बेटियों का चंचल मन
इतना कोमल होता है
एक टाफी के लालच मे
जीवन की खुशियाँ खोता है
मै कैसे समझाऊ मन को
ये नादान परिंदा, छोटा है
फिर भी इसको, मै
बड़े प्यार से समझाती हूँ
न जाने कैसे, सबकी
चिकनी चुपड़ी, बातो मे आ जाती हूँ
इसको नहीं समझ रिश्तो की
ये समझे सभी को फरिश्ता है
ये क्या जाने, इस दुनिया मे
इंसानियत से बड़ा, हैवानियत का रिश्ता है
रेखा कापसे
होशंगाबाद (मप्र)