“बेटियां”
बेटियों को तो अपनी सारी जंगे खुद ही लड़ना पड़ता है,
मान अपमान की बेड़ियो से खुद को ही जकड़ना पड़ता है,
बेटियों को तो अपनी सारी जंगे खुद ही लड़ना पड़ता है।
वो बेटे ही होते हैं जिनका हर क़ुसूर माफ़ होता है,
बेटियों को तो हर गुनाह का ताज पहनना पड़ता है,
हजार ख्वाहिशें दफन कर सीने में, मोम सा पिघलना पड़ता है,
बेटियों को तो अपनी सारी जंगे खुद ही लड़ना पड़ता है ।
ना हो गम का साया कोई, परिवार सदा खुशहाल रहे,
होंठो पर अपने इसलिए ,मुस्कान लिए फिरना पड़ता है,
बेटियों को तो अपनी सारी जंगे ,खुद ही लड़ना पड़ता है।
पिता की इज्जत , भाई की पगड़ी ,माँ के संस्कार सलामत रहे,
अंधेरो में भी इसलिये सुख का दीपक जलाना पड़ता है,
बेटियों को तो अपनी सारी जंगे खुद ही लड़ना पड़ता है।।