बेटियां ना बनाना इस जग के लिए
देख दुनिया के दरिन्दो को,
तड़प उठा मन मेरा,
माफ़ करना बेटियां मेरी,
अब आना ना तुम इस दुनिया में।
गुज़ारिश समझों या मजबूरी,
अच्छी लगे यह बात या बुरी,
आना न तुम इस महफ़िल में,
बनने खिलौना दरिन्दो का।
ना मैं कमजोर ना ममता मेरी,
बना सकती सशक्त तुम्हें में इतना,
कि लड़ सको तुम पुरी दुनिया से,
पर फिर भी न आना तुम,
इस दुनिया में।
चाहे रोए कितनी भी ममता मेरी,
ज़रूरत भले हो संसार को तुम्हारी,
पर, एक निवेदन है खुदा तुमसे,
अब बेटियां ना बनाना इस जग के लिए।