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20 May 2023 · 1 min read

कुमुद के दोहे

करता है अटखेलियां, भ्रमर कली के संग |
फूल कली के साथ, फैले मधुर सुगंध||

हिय के उपवन में प्रभो,बनकर रहो समीर|
माली बनके कर विनय,मन भी पाए धीर||

पावन कन्या दान है ,दीजै पुत्री ब्याह|
निर्वाह करे जो सदा, पाए पुण्य अथाह।।

आन तिरंगे की बढ़ी ,सकल विश्व में आज|
भारत विकसित हो रहा, उन्नत सभी समाज।

आया मास बसंत का, झूमें नाचे गात।
सुरभि पवन बह रही,फागुन सम सौगात||

दुर्गा काली शारदा,नारी ही नव रूप |
पूजा अर्चन कीजिए , दीप जला अरु धूप ||

नारी का पूजन कर यहाँ , रहते देव प्रसन्न|
सूना होता वह नगर, जहाँ नारियां खिन्न |

नारी होती हैं सदा, ममता की पहचान|
पाते जीवन नर सभी ,बनते नित्य महान |

नारी देती है सदा ,जग में नर का साथ|
भार्या माता अरु बहन,चलती संगहि पाथ।

सागर ममता की यहीं ,दया मोह भंडार |
ईश्वर भी नत हो सभी,पाकर प्यार अपार ||

ममता देखो मात की, है कितनी अनमोल।
नौ माह रखे गर्भ में , मानो प्रभु का खोल।।

नारी का सम्मान रख, जिस घर पूजा जाय ।
लाज रखे जो दूध की , वही सुपुत्र कहाय ।।

मॉ ,बेटी ,बहु,औ बहन, ये ममता की है खान ।
बेटी से गौरव देश का, इनसे देश महान।।

अतुल धरोहर ईश की, रक्खें इनका मोल।
इनके हित में सत कामना, घोल अमृत घोल।।

डॉ कुमुद श्रीवास्तव वर्मावर्मा कुमुदिनी

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