बेटियाँ
बेटी तो बेटी होती है वो जग से प्यारी होती है
फिर कष्ट उसे क्यों देते हो वो जग से न्यारी होती है
करती है रक्षा जीवन की सपनो की प्यारी होती है
खुशियों को सदा लुटातीं है फूलों की क्यारी होती है
वह प्यार सभी से करती है बनकर डाली फूलों की
उपवन को भी महकाती हैं बनकर क्यारी फूलों की
फिर क्यू चरित्र पर उसके ही सब दाग लगाये जाते है
रक्षा तो करना दूर ही रहा, अपमान कराये जाते है
बेटी की रक्षा करना तो अधिकार हमारा बनता है
जब सभी करेंगे कोशिश तो फिर प्यार सभी का बढ़ता है
जीवन पथ में कुछ करने को, आगे ही आना पड़ता है
अपनों के खातिर तो ये सिर ,अपना ही झुकना पड़ता है।
—विवेक तिवारी हरदोई