बेटियाँ
बेटियाँ,बेटियाँ हैं
जो हैं सूत्रधार
सृजन की,ममत्व की-
और वैश्विक सौन्दर्य की ।
संभव नहीं
इनके बिना-
सृष्टि का अस्तित्व
और यहाँ तक-
‘परिवार’की पूर्णता।
कितना अधूरा लगता है,
बेटियों के बिना
एक पिता का व्यक्तित्व,
‘माँ’ का अधूरापन।
बेटियाँ
प्रकृति की अद्भुत सृजन हैं
जो बनाती हैं
एक परिवार, एक गांव और एक शहर भी
और फिर एक देश
और अंततः एक अद्भुत संसार।
वह माँ हैं, बहन हैं,प्रेयसी
और अर्धांगिनी भी,
वह नवदुर्गा हैं
और सहनशीलता के शीर्ष पर
प्रतिष्ठित
राम की सीता भी ।