बेटियाँ
बेटा बेटा करते
करते आज
तीसरी बेटी हुई है
उम्मीदों की बली
आँचल फिर चढ़ी है
दुर्गा माँ की डोली
धूम धाम से
सजी है
और बेटी के
हँसने पर
बेड़ियाँ
लगी है
भाई किसी
लड़की को
छेड़ कर
आया है
बहन ने
फिर भाई को
पुलिस से
छुपाया है
जिस कोख से
तू जन्मा है
उसको शर्मसार
ना कर
अस्तिवा ही
औरत है तेरा
मर्द है तो
हाहा कार
ना कर
जिस रोज़
औरत अपनी
ज़िद पर
अड़ जाएगी
ना लड़का होगा
ना होगी लड़की
औलाद को
तरस जाएगा
और लड़के की
उम्मीद में
लड़की भी ना
देख पाएगा
मौलिक अप्रकाशित