“बेटियाँ”
माँ – बाप के घर जब,
जन्म पाती बेटियाँ,
जीवन में खुशियाँ,
लाती हैं बेटियाँ,
माँ – बाप का भाग्य,
चमकाती हैं बेटियाँ,
संग में भाग्य लक्ष्मी,
लाती हैं बेटियाँ,
पैरों में पायल बाँध जब,
हिनहिनाती हैं बेटियाँ,
घर की चारदीवारी,
को गुँजाती हैं बेटियाँ,
ज्यों – ज्यों जवान होती,
घर में चार – चाँद,
लगाती हैं बेटियाँ,
पढ़ – लिख माँ – बाप का नाम,
रोशन करवाती हैं बेटियाँ,
पिता के घर शहनाई,
बजवाती हैं बेटियाँ,
माँ – बाप को कन्यादान का सुख,
दिलवाती हैं बेटियाँ,
माँ – बाप को ऋण-मुक्त,
करवा जाती हैं बेटियाँ,
घड़ी विदाई की जब आती,
गले लग सिसक जाती हैं बेटियाँ,
मायके जब भी आये,
माँ – बाप के दुःख से,
सिहर जाती हैं बेटियाँ,
दोनों कुलों की शान,
बढ़वाती हैं बेटियाँ,
असहनीय पीड़ा सहकर भी,
वंश आगे बढ़ाती हैं बेटियाँ,
इन्हें भी जीने का अधिकार दो,
“शकुन” कोख में मत संहार करो,
क्या होगा ? इन सपूतों का,
जब न होंगी बेटियाँ।।