बेटियाँ
बेटियाँ
पापा की परी ,माँ की परछाई होती है बेटिया।
दो घरो में बजती एक ,शहनाई होती है बेटिया।
रोशन करती और सजाती है ये दो दो घरो को
कौन कहता है कि ———-
——— पराई होती है बेटिया।
भाई के साथ तो रोज़ की लडाई होती है बेटियाँ।
राखी पर जो सजे वो कलाई होती है बेटियाँ।
इज़्ज़त की जोङी पाई पाई होती है बेटियाँ।
कौन कहता है कि ———
—————————–पराई होती है बेटियाँ।।
हर आँगन में बेला मुस्कराई ,होती है बेटियाँ।
बाहर तो लाजवंती सुकुचाई ,होती है बेटियाँ।
तकदीर लिखे वो रौशनाई ,होती है बेटियाँ ।
कौन कहता है कि——–
————————–पराई होती है बेटियाँ।।
सुरिंदर कौर