बेटा राजदुलारा होता है?
बेटा राजदुलारा होता है सबकी आंखों का तारा होता है
लेकिन ये सिर्फ़ बचपन तक ही सीमित होता है
बचपन बीता आई ज़वानी तभी शुरू होती है उस बेटे की कहानी
बचपन में मां के आंचल में ख़ुद को महफूज़ रखता था
आज बड़ा होकर तपती धूप में ख़ुद को जलाता है
भोर होते ही निकल पड़ता है अपनी इच्छाओं को त्याग कर
हर मौसम में बस वो कमाने निकल जाता है
कौन कहता है कि आसान होता है जीवन बेटों का
ये तो ख़ुद के घर में भी मेहमान होते हैं
दिन भर की तपन इतनी थकाती है फिर भी मायूस नहीं होते हैं
लोग कहते हैं कि पहचान हिम्मत की होती है
तो आख़िर क्यों एक बेटे की हिम्मत की तारीफ़ नहीं होती
गर हार जाए परिस्थिति से तो उसकी इज़्ज़त नहीं होती
वो कमाता नहीं,पैसे लाता नही
सही ढंग से परिवार को चलाता नहीं
पल भर में लोग सवालों के कटघरे में खड़ा कर देते हैं
हिम्मत गर कुछ बाकी भी हो ना उसमें तो ये लोग दर भर देते हैं।
अपने ही घर परिवार से दूर होकर ये बेटे अपनों के लिए घर बनाते हैं
कौन कहता है कि बेटे सिर्फ़ अपने सपनों को सजाते हैं।
सबके लिए सब कुछ लाएंगे मगर ख़ुद को हमेशा पीछे रखते हैं
ये बेटे अपनी जिम्मेदारियों के कारण अपनों की खुशी का स्वाद चखते है।
कभी पत्नी की इच्छा के लिए मां पापा को छोड़ देते हैं
तो कभी मां पापा के लिए पत्नी से भी नाता तोड देते हैं
बस कमाना है और घर परिवार चलाना है यही जीवन मंत्र बना लेते हैं
नौकरी से घर और घर से नौकरी बस इसी में रूख को मोड़ लेते हैं।
बेटों के लिए बाहर की दुनिया आसान कहां होती है
कभी कभी ख़ुद के लिए सोच के इनकी भी आंखें रोती है
फिर भी अपने आंसुओं को किसी के आगे बहने नहीं देते
ये बेटे है जनाब ये किसी को कुछ कहने नहीं देते।
रेखा खिंची ✍️✍️