बेटा-बेटी मे भेदभाव
नए बिगाड़ु मिथिला के स्वरूप,
मिथिला अपन बहुरूप ।
नए रहु जायत -धर्म के विरूद्ध
सब छैयथ अपने मिथिलाक स्वरूप।।
बेटी के साथ अतेक घृणा कियाक अछि,
बेटा के साथ अतेक प्रेम कियाक अछि।
जा तक बेटी नए रहत ,
ता तरीक पुतौह कहॉ से लाइब।।
बेटा के शादी करवाक लेल,
देखैलेल जाए छी बढ़िया लड़की,
बेटा मुर्ख रहे त रहे,
परन्तु चाही पढ़हल लड़की ।।
इ कौना संभव होयत,
जा तक पैदा न करब बेटी।
ता तक कौना वियाह होयत बेटा के ,
जा तक नय पढ़ायब बेटी ।।