Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Sep 2021 · 1 min read

बेटा बेटी में फर्क क्यों ?

दोनो है जब एक ही डाली के फूल ,
मत करो इनमें फर्क करने की भूल ।

बेटा गर है आपके घर का चिराग तो ,
बेटियां घर की रौनक ,मत जाओ भूल ।

बुढ़ापे में जब होंगे मां बाप कमज़ोर ,
तो बेटी देती सहारा,बेटा जाता सब भूल।

मौत के बाद बेटा देगा मुक्ति औ मोक्ष ,
ऐसी पिछड़ी सोच को तुम भी जाओ भूल ।

मोक्ष औ मुक्ति अपने सुकर्मों से मिलती है ,
ये थोथे कर्मकांडों को बेटा शायद जाय भूल ।

बेटियां आज बेटों से बिल्कुल कम नहीं ,
बल्कि उनसे बढ़कर है,क्यों जाते हो भूल ?

बेटियों को बेटों के बराबर हक और इज्जत दो ,
बेटियों के सुख औ खुशी में आपके सुख का मूल ।

Language: Hindi
2 Likes · 4 Comments · 730 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from ओनिका सेतिया 'अनु '
View all
You may also like:
वो नौजवान राष्ट्रधर्म के लिए अड़ा रहा !
वो नौजवान राष्ट्रधर्म के लिए अड़ा रहा !
जगदीश शर्मा सहज
"*पिता*"
Radhakishan R. Mundhra
चुका न पाएगा कभी,
चुका न पाएगा कभी,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
अगन में तपा करके कुंदन बनाया,
अगन में तपा करके कुंदन बनाया,
Satish Srijan
■ तजुर्बे की बात।
■ तजुर्बे की बात।
*Author प्रणय प्रभात*
जून की दोपहर (कविता)
जून की दोपहर (कविता)
Kanchan Khanna
सहारा...
सहारा...
Naushaba Suriya
संवेदन-शून्य हुआ हर इन्सां...
संवेदन-शून्य हुआ हर इन्सां...
डॉ.सीमा अग्रवाल
युगांतर
युगांतर
Suryakant Dwivedi
मरहटा छंद
मरहटा छंद
Subhash Singhai
मैं गलत नहीं हूँ
मैं गलत नहीं हूँ
Dr. Man Mohan Krishna
रिश्ते बनाना आसान है
रिश्ते बनाना आसान है
shabina. Naaz
.....
.....
शेखर सिंह
वैविध्यपूर्ण भारत
वैविध्यपूर्ण भारत
ऋचा पाठक पंत
Know your place in people's lives and act accordingly.
Know your place in people's lives and act accordingly.
पूर्वार्थ
"विचारणीय"
Dr. Kishan tandon kranti
हिंदी दलित साहित्यालोचना के एक प्रमुख स्तंभ थे डा. तेज सिंह / MUSAFIR BAITHA
हिंदी दलित साहित्यालोचना के एक प्रमुख स्तंभ थे डा. तेज सिंह / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
बुद्धि सबके पास है, चालाकी करनी है या
बुद्धि सबके पास है, चालाकी करनी है या
Shubham Pandey (S P)
#justareminderekabodhbalak
#justareminderekabodhbalak
DR ARUN KUMAR SHASTRI
हम यहाँ  इतने दूर हैं  मिलन कभी होता नहीं !
हम यहाँ इतने दूर हैं मिलन कभी होता नहीं !
DrLakshman Jha Parimal
फितरत
फितरत
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
तेरी आवाज़ क्यूं नम हो गई
तेरी आवाज़ क्यूं नम हो गई
Surinder blackpen
सत्तावन की क्रांति का ‘ एक और मंगल पांडेय ’
सत्तावन की क्रांति का ‘ एक और मंगल पांडेय ’
कवि रमेशराज
India is my national
India is my national
Rajan Sharma
हम जिएँ न जिएँ दोस्त
हम जिएँ न जिएँ दोस्त
Vivek Mishra
धरती का बेटा गया,
धरती का बेटा गया,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
आहट
आहट
Er. Sanjay Shrivastava
भगतसिंह:एक मुक्त चिंतक
भगतसिंह:एक मुक्त चिंतक
Shekhar Chandra Mitra
ग़ज़ल/नज़्म - ये हर दिन और हर रात हमारी होगी
ग़ज़ल/नज़्म - ये हर दिन और हर रात हमारी होगी
अनिल कुमार
*पाए हर युग में गए, गैलीलियो महान (कुंडलिया)*
*पाए हर युग में गए, गैलीलियो महान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
Loading...