बेटा बेटी का विचार
बेटा बेटी का विचार
पुत्र जुबां में होती हैं, मैं उस मां का बेटा।
दुध पिया है मां का अपने, दर्द उनका देखा।।
बेटी कहती निज जुबां से,मैं उस बाप की बेटी।
दर्द समझी बाप का, संघर्ष उनका देखी ।।
पिता का प्यार अनोखा,दिल में छुपाये रहता।
संघर्ष कर सारी उम्र, हमें बढ़ाये देता।।
मां की ममता हिला देगी,करते पिता का ललकार।
अनुशासन का पाठ पढ़ाने,देता है फटकार ।।
प्रेम है बैर नहीं,वह धरती का भगवान।
मर्यादा का पाठ पढ़ाने,देता है फटकार।।
मां तो रोती आंखों से,नाक से बहाये देती।
बाप रोता हृदय से, बिगड़ न जाये बेटी।।
पिता का प्यार अनोखा,दिल से मैंने देखी।
बेटी कहती निज जुबां से मैं उस बाप की बेटी।।
क्यों बताता है भाई, केंवल मां का मंतर।
दोनों मिल एक हुए, न रहें कोंई अन्तर ।।
डां विजय कुमार कन्नौजे अमोदी वि खं आरंग जिला रायपुर छत्तीसगढ़