बेजुबानों ( गाय और भैंस) के बच्चों का हक मत मारो।
किसी भी मां के दूध पर ,
पहला हक उसके बच्चे का होता है ।
वो मां चाहें इंसान हो या जानवर,
सब पर यह नियम लागू होता है ।
तो फिर इंसानी बच्चे को तो मिलता उसका हक ,
तो पशु के बच्चों को क्यों नहीं।
अपने दुग्ध व्यवसाय में एक बच्चे का हक ,
छिनना क्या तुम्हें शोभा देता है।
न्याय तो यह कहता है की पहले बच्चे को दूध मिले ,
उसके पश्चात अपने व्यवसाय हेतु सोचा जाए ।
अपने स्वार्थ में एक भोले से पशु को ,
क्यों धोखा दिया जाए।
अगर भगवान से रहम की उम्मीद करते हो तो ,
खुद उसके अन्य बेजुबान बच्चों पर भी रहम करो।
करेगा रहम तू प्रभु की प्रसन्नता पाएगा ,
और बेजुबानों की दुयाओं से अधिक संपन्न हो जाएगा।