Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 May 2022 · 2 min read

बेजुबां जीव

बेजुबां की है एक ये दास्तां……
था कुछ ऐसा उसके जीवन का कारवां।
रोज़ आता है वो घर पर…..
स्नेहपूर्ण आँखों से है देखता,
रोटी की आस लेकर, वो हमारे दर पर बैठता।
चोट लगने पर; वो हमारे पास आ जाता था……
बिना कुछ बोले वो, कुछ इस तरह अपना दर्द बयां कर जाता था।
इंसान को सब कुछ मिल जाए; कभी खुश नहीं होता…..
ज़रा जानवरों से सीखिये, जो इंसानों की तरह सभी को दिखाकर नहीं रोता।
हम अपनी स्वतंत्रता में भी कभी न हुए खुश…..
वो जीवन भर परतंत्र होकर भी ; न की शिकायतें न हुए मायूस।
हम बोलते हैं, हम करते हैं, अपनी भावनाएं व्यक्त…..
परन्तु, आज खुद से पूछिये?
हम जानवरों के प्रति क्यों हैं, इतने सख्त?
वो बोल नहीं सकते….
इसलिये, हम समझते हैं उन्हें निर्जीव….
उनके बिना, पृथ्वी न होगी कभी सजीव….
आखिर; वो भी हैं इस पृथ्वी के जीव।
याद रखिये, ईश्वर ने हमें एक समान बनाया है….
गर वो न हो, तो रह जायेगा पृथ्वी पर सिर्फ स्वार्थियों का साया है।
दिल है, दिमाग है, फिर भी…..
समझ नहीं पाता इंसान उनका दर्द ,
क्यों बन नहीं पाता इंसान उनका हमदर्द?
गर हैं ज़ज़्बात…..
क्यों समझ नहीं पाता उनकी बात?
हम कहते हैं खुद को समझदार…..
फिर क्यों नहीं होता उनके दर्द का आभास?
याद रखिये….
उनसे हमारा जीवन हैं, हम प्राणी उनके कर्ज़दार हैं।
असल में, इंसान कहलाने के योग्य हैं वो….
वो ही इसके हकदार हैं।
कभी सोचा है?
उनके लिए वो पल कितना भारी होगा….
जब स्वयं मनुष्य, काल बनकर…..
जानवरों को गाड़ी से रौंद देते हैं।
कितने कष्ट? कितनी यातनाएं?
हम उन्हें देते हैं।
वो चुपचाप बस, हम इंसान ने जो दिया…..
वो दर्द सहते हैं।
सोचो ? पता चलेगा….
वो कितना तड़पता होगा, आखिरी वक़्त उसके मुख से क्या निकलता होगा?
क्यों? नहीं समझते हम इंसान, उनको भी तकलीफ़ होती है।
उनका भी घर परिवार है, उनको भी जीने की आस है।
क्यों खो रहे हम इंसान, उनको जो हम पर विश्वास है?
दर्द में रहते हैं ये, इन्हें समझो तो कितना कुछ कहते हैं ये।
इंसान अपनी इंसानियत से दूर है….
फिर भी रखते, ये हमें महफूज़ हैं।
इतना होने पर तो कोई भी रोने लगे…..
फिर भी अगर किसी को कोई भी फ़र्क न पड़े…..
समझ लेना इंसान अपनी इंसानियत खोने लगे।
इनकी आँखों में आँसू, चेहरे पर मासूमियत….
फिर भी हम क्यों नहीं देते इन्हें अहमियत?
ये कड़वा सच है….
लेकिन सच तो आखिर सच है_
मर चुकी है इंसान के अंदर की इंसानियत।
_ ज्योति खारी

Language: Hindi
17 Likes · 12 Comments · 627 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

आप लगाया न करो अपने होंठो पर लिपिस्टिक।
आप लगाया न करो अपने होंठो पर लिपिस्टिक।
Rj Anand Prajapati
वज़ह सिर्फ तूम
वज़ह सिर्फ तूम
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
भोंट हमरे टा देब (हास्य कथा)
भोंट हमरे टा देब (हास्य कथा)
Dr. Kishan Karigar
प्रेम🕊️
प्रेम🕊️
Vivek Mishra
दोहा
दोहा
गुमनाम 'बाबा'
3121.*पूर्णिका*
3121.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
परिंदों का भी आशियां ले लिया...
परिंदों का भी आशियां ले लिया...
Shweta Soni
🙅कड़वा सच🙅
🙅कड़वा सच🙅
*प्रणय*
मुझे  किसी  से गिला  नहीं  है।
मुझे किसी से गिला नहीं है।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
माता वीणा वादिनी
माता वीणा वादिनी
अवध किशोर 'अवधू'
रमेशराज के शृंगाररस के दोहे
रमेशराज के शृंगाररस के दोहे
कवि रमेशराज
आत्माभिव्यक्ति
आत्माभिव्यक्ति
Anamika Tiwari 'annpurna '
हां वो तुम हो...
हां वो तुम हो...
Anand Kumar
महबूब से कहीं ज़्यादा शराब ने साथ दिया,
महबूब से कहीं ज़्यादा शराब ने साथ दिया,
Shreedhar
जीवन की आवाज़
जीवन की आवाज़" (Voice of Life):
Dhananjay Kumar
जवाब कौन देगा ?
जवाब कौन देगा ?
gurudeenverma198
मौन के प्रतिमान
मौन के प्रतिमान
Davina Amar Thakral
वीर अभिमन्यु– कविता।
वीर अभिमन्यु– कविता।
Abhishek Soni
युवा शक्ति
युवा शक्ति
संजय कुमार संजू
तुम अगर कविता बनो तो, गीत मैं बन जाऊंगा।
तुम अगर कविता बनो तो, गीत मैं बन जाऊंगा।
जगदीश शर्मा सहज
क्या अब भी तुम न बोलोगी
क्या अब भी तुम न बोलोगी
Rekha Drolia
जिंदगी कंही ठहरी सी
जिंदगी कंही ठहरी सी
A🇨🇭maanush
उकेर गई
उकेर गई
sushil sarna
ऑफिसियल रिलेशन
ऑफिसियल रिलेशन
Dr. Pradeep Kumar Sharma
लोकतंत्र में —
लोकतंत्र में —
SURYA PRAKASH SHARMA
वोट का लालच
वोट का लालच
Raju Gajbhiye
#सुर आज रे मन कुछ ऐसे सजा
#सुर आज रे मन कुछ ऐसे सजा
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
ग़ज़ल __
ग़ज़ल __ "है हकीकत देखने में , वो बहुत नादान है,"
Neelofar Khan
करते हैं संघर्ष सभी, आठों प्रहर ललाम।
करते हैं संघर्ष सभी, आठों प्रहर ललाम।
Suryakant Dwivedi
"मोहब्बत"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...