बेचारी हो गयी।
अब पुरुष बेचारा और महिला बेचारी हो गयी ।
आफत आन पड़ी जो कोरोना बीमारी हो गयी।
साँस पाने को तिल तिल मर रहा था मरीज,
उधर आक्सीजन की कालाबाजारी हो गयी।
अस्पताल में लूट है और अंग का भंग हो रहा है।
सरकारी सुविधाओं का अमली जामा, अब तंग हो रहा है।
सरकार जो ठहरे कौन करे सवाल,
जमाखोरों से कितनी लाचारी हो गयी।
अब पुरुष बेचारा और महिला बेचारी हो गयी ।
जो मरणासन्न हैं उन्हें ही आक्सीजन दिया जाएगा।
मरने के बाद अस्पताल में भर्ती किया जाएगा।
जीवन पर मृत्यु की अनगिनत उधारी हो गयी।
अब पुरुष बेचारा और महिला बेचारी हो गयी ।
दुश्मन को कमजोर समझने की ,जो भूल हो गयी।
कोरोना की विपत्ति अब ,काटें से शूल हो गयी।
इक्कीसवीं सदी में कैसी महामारी हो गयी।
अब पुरुष बेचारा और महिला बेचारी हो गयी ।
– सिद्धार्थ पाण्डेय