Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 May 2020 · 1 min read

” बेचारी नहीं हूं “

जिंदगी की गाड़ी में एक सवारी हूं ,
इसलिए कभी जिंदगी से हारी नहीं हूं ।

दर्द को हंस कर अपना लिया है ,
इसलिए नहीं कि कोई बेचारी हूं ।

सफर तो अभी शुरू ही हुआ है ,
अभी भी लड़ने को तैयार ही हूं ।

बस थोड़ा वक्त की मारी हूं ,
बिना लड़े जल्दी जंग हारी नहीं हूं ।

निकली तो अभी अस्तित्व की खोज में हूं ,
विधाता की बनाई कोई बेचारी नहीं हूं ।

? धन्यवाद ?

✍️ ज्योति ✍️
नई दिल्ली

Language: Hindi
6 Likes · 4 Comments · 341 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from ज्योति
View all
You may also like:
प्रतिदिन ध्यान लगाये
प्रतिदिन ध्यान लगाये
शिव प्रताप लोधी
अगर आप
अगर आप
Dr fauzia Naseem shad
प्रकृति की गोद खेल रहे हैं प्राणी
प्रकृति की गोद खेल रहे हैं प्राणी
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
अ आ
अ आ
*प्रणय प्रभात*
वेलेंटाइन डे
वेलेंटाइन डे
Surinder blackpen
शुभ दिवाली
शुभ दिवाली
umesh mehra
अरे सुन तो तेरे हर सवाल का जवाब हूॅ॑ मैं
अरे सुन तो तेरे हर सवाल का जवाब हूॅ॑ मैं
VINOD CHAUHAN
बेवफाई उसकी दिल,से मिटा के आया हूँ।
बेवफाई उसकी दिल,से मिटा के आया हूँ।
पूर्वार्थ
दिन में तुम्हें समय नहीं मिलता,
दिन में तुम्हें समय नहीं मिलता,
Dr. Man Mohan Krishna
रूठी साली तो उनको मनाना पड़ा।
रूठी साली तो उनको मनाना पड़ा।
सत्य कुमार प्रेमी
किताबों की कीमत हीरे जवाहरात से भी ज्यादा हैं क्योंकि जवाहरा
किताबों की कीमत हीरे जवाहरात से भी ज्यादा हैं क्योंकि जवाहरा
Raju Gajbhiye
जन्मदिवस विशेष 🌼
जन्मदिवस विशेष 🌼
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
हर  तरफ  बेरोजगारी के  बहुत किस्से  मिले
हर तरफ बेरोजगारी के बहुत किस्से मिले
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
3500.🌷 *पूर्णिका* 🌷
3500.🌷 *पूर्णिका* 🌷
Dr.Khedu Bharti
ग़ज़ल _ आइना न समझेगा , जिन्दगी की उलझन को !
ग़ज़ल _ आइना न समझेगा , जिन्दगी की उलझन को !
Neelofar Khan
यूं सियासत ज़रा सी होश-ओ-हवास में करना,
यूं सियासत ज़रा सी होश-ओ-हवास में करना,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
खुला खत नारियों के नाम
खुला खत नारियों के नाम
Dr. Kishan tandon kranti
बथुवे जैसी लड़कियाँ /  ऋतु राज (पूरी कविता...)
बथुवे जैसी लड़कियाँ / ऋतु राज (पूरी कविता...)
Rituraj shivem verma
बिना पंख फैलाये पंछी को दाना नहीं मिलता
बिना पंख फैलाये पंछी को दाना नहीं मिलता
Anil Mishra Prahari
जो भी पाना है उसको खोना है
जो भी पाना है उसको खोना है
Shweta Soni
दुविधा
दुविधा
Shyam Sundar Subramanian
सच तो ये भी है
सच तो ये भी है
शेखर सिंह
*रखिए जीवन में सदा, उजला मन का भाव (कुंडलिया)*
*रखिए जीवन में सदा, उजला मन का भाव (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
मर्यादाएँ टूटतीं, भाषा भी अश्लील।
मर्यादाएँ टूटतीं, भाषा भी अश्लील।
Arvind trivedi
7) “आओ मिल कर दीप जलाएँ”
7) “आओ मिल कर दीप जलाएँ”
Sapna Arora
* धीरे धीरे *
* धीरे धीरे *
surenderpal vaidya
सुविचार
सुविचार
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
स्वयं पर नियंत्रण रखना
स्वयं पर नियंत्रण रखना
Sonam Puneet Dubey
मुझसे मेरी पहचान न छीनों...
मुझसे मेरी पहचान न छीनों...
इंजी. संजय श्रीवास्तव
बुंदेली दोहा -तर
बुंदेली दोहा -तर
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
Loading...