” बेचारी नहीं हूं “
जिंदगी की गाड़ी में एक सवारी हूं ,
इसलिए कभी जिंदगी से हारी नहीं हूं ।
दर्द को हंस कर अपना लिया है ,
इसलिए नहीं कि कोई बेचारी हूं ।
सफर तो अभी शुरू ही हुआ है ,
अभी भी लड़ने को तैयार ही हूं ।
बस थोड़ा वक्त की मारी हूं ,
बिना लड़े जल्दी जंग हारी नहीं हूं ।
निकली तो अभी अस्तित्व की खोज में हूं ,
विधाता की बनाई कोई बेचारी नहीं हूं ।
? धन्यवाद ?
✍️ ज्योति ✍️
नई दिल्ली