बेघर
ना बदलो तुम ईमान अपना सब बुरा कहेंगे
जन्नत भी यही जमीं पर गर सब प्यार करेंगे
तकरार करने से फायदा हुआ क्या किसका
काम बनेगें सब गर सब मिलकर साथ रहेंगे
क्यो अपने मां बाप को करते हो घर से बेघर
सोचे वो ओरों की भांति तो बच्चे बेघर मरेंगे
प्रकृति को तुमने दिया ही क्या है आज तक
सीखो कुछ जीवन मे सब रंग यही मिलेंगे
मोहन तू तो सच्चाई पर रहा कायम सदा ही
सब वायदे कर मुकर अपनी जेबें भरते रहेंगे