बेख़ुदी
तुम्हारी याद मुझे पल-पल सताती रही,
बेख़ुदी मेरी मुझको नींद से जगाती रही।
सुनसान अटारी में मैं राह तेरा तकता रहा,
सावन की झड़ी भी,तन को जलाती रही।।
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रचना- मौलिक एवं स्वरचित
निकेश कुमार ठाकुर
गृह जिला- सुपौल (बिहार)
संप्रति- कटिहार (बिहार)
सं०- 9534148597