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17 Oct 2021 · 1 min read

बेकार बातें

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शहर की बातें बेकार नहीं हैं।
शहर की परिभाषा गलत नहीं है।
नहीं है त्रुटिपूर्ण,शहर का बनना।
सत्य है शहर ।
शिक्षक है शहर।
रक्षक है शहर।
हमें होना ही चाहिए शहर।
चालाक है शहर।
सियार का नहीं,बुद्धि का।
बुद्धिबद्ध है शहर।
प्रतिबद्ध है शहर और कटिबद्ध भी।
तुम्हें दु:ख से निजात देने के लिए।

तुम शहर बनो।
शहर कहता है तुम अपना डगर बनो।
शोषण से मुक्त होने,
सुशासन से युक्त होने,
स्व्यंभू संत्रासों से निकलने बाहर,
नकारने व्यथाओं के सारे झूठे डर।

दु:ख शहर नहीं, अपने देते हैं।
जो देखते तुम वे अबुझ सपने देते हैं।
शहर कटु है।
तुम कटु बनो।
शहर का स्वार्थ उसका सुख।
तुम सुखी बनो।
शहर योद्धा है ।
तुम योद्धा बनो।
शहर के अंदर किन्तु,गाँव का कोमल मन
विद्यमान है।
तुम कोमल अवश्य बनो।

पीड़ा मन में होती है ।
दु:ख तन पर रहता है।
जब तेरा अधिकार तुझसे छिन जाय
दु:ख होता है।
जब तुम अपने अधिकारों की
रक्षा नहीं कर पाते पीड़ा होती है।
तुम शहर बनो
डर को डराने।
अपने को शहर सा लड़ाका बनाने।
——————————————-

Language: Hindi
482 Views
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