बेकार की बात
बेकार की बातों में उलझा,
है यहां सब इंसान।
झूठ को सच ।
सच को झूठ करने में
लगा है तमाम।
राजनीति का खेल,
अब हो गया बेलगाम l
मन्दिर हो या मस्जिद,
चलता है हर धाम।
विद्यालय हो या देवालय,
घण्टा कहाँ अब बजता है।
जिधर देखो गंदी राजनीति का
डंका हर दम बजता है।
भूख, गरीबी, और भ्रष्टाचार,
मुद्दा कहाँ अब बन पाता है।
ड्रेस पहन के जाऊँ या
चलाऊँ बिकिनी से ही काम ।
यही बात यहां गरमाता है।
बातें बहुत है दिल में मेरे,
क्या बोलू और क्या न बोलू ।
क्या भाजपा, क्या सपा या कोई पा।
सबसे जनता है खपा – खपा
राजनीति की रोटी सेकनी है इन्हें।
चाहे जल ही जाए देश तमाम।
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रविशंकर साह, बैद्यनाथ धाम, देवघर, झारखंड