बेकारी का सवाल
इंसानों ने अपनी सुविधाओं के
लिए किया मशीनों का निर्माण
फिर कुछ लोगों की नजर में कम
होने लगता है इंसानों का सम्मान
ज्यादा धनार्जन की चाह में करने
लगते वे मशीनों की ही तरफदारी
ऐसे में मशीनों के अंधाधुंध प्रयोग
से समाज में बढ़ती जाती है बेकारी
बेकारी की अवस्था मनुष्य को कर
देती है मानसिक रूप से बदहाल
कुल मिलाकर मशीनों के अत्यधिक
प्रयोग से गहराता बेकारी का सवाल
धनिक लोग भूल जाते हैं पुरखों के
जीयो और जीने दो जैसे खास संदेश
वे कामगारों को मान बैठते हैं लाचार
खुद को उनका भाग्यविधाता औ नरेश
जिस समाज में इंसानों की तुलना में
मशीनों पर दिया जाता ज्यादा ध्यान
वहां मानवता सतत सिसकती रहती है
मनुष्यों में दिखते दैत्यों के गुण तमाम
भारत जैसे देशों में बेरोज़गारी का बड़ा
कारण मशीनों का अंधाधुंध इस्तेमाल
यहां लोकतांत्रिक सरकारों की आड़ में फल
फूल रहा अफसरों पूंजीपतियों का संजाल
मशीनों के प्रयोग के लिए अब तक नहीं
हुआ कहीं समुचित नीतियों का निर्माण
ऐसे में देश में लगातार बढ़ता जा रहा है
बेकार लोगों का कारवां यहां और वहां
जो सचमुच आप को देश और मनुष्यों
से हो वास्तव में अत्यधिक स्नेह व प्यार
मशीनों पर निवेश और उनके उपयोग
की दशाओं के नतीजों पर कीजिए विचार