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12 Jul 2024 · 1 min read

बेकाबू हैं धड़कनें,

बेकाबू हैं धड़कनें,
घन गरजें घनघोर ।
राज खोलती रात के,
अलसायी सी भोर ।।

सुशील सरना / 12-4 -24

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