बेकाबू हुआ है ये दिल तड़पने लगी हूं
देखा है जबसे उनको,संवरने लगी हूं।
बेकाबू हुआ है ये दिल,तड़पने लगी हूं।।
भीनी भीनी खुश्बू,तन में बिखरने लगी है।
हर सांस में उनकी यादें मटकने लगी है।।
बेकाबू हुआ है ये दिल,रात को जगने लगी हूं।
उनके इश्क के रंग में,अब मै रंगने लगी हूं।।
शाम को सज धज के,आइना देखने लगी हूं।
मांग भरके उनका इंतजार मै करने लगी हूं।
होते ही द्वार पर आहट,द्वार खोलने लगी हूं।
न आने पर उनके,मै अब घबराने लगी हूं।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम