बेअदबी
जब मनुष्य के द्वारा लिखे ग्रंथ,
इंसान से बडे हो जाये,
जीवन का मूल्य सृजन नहीं,
अदबी लेखन को ही समझ लिया
विवेक समझ न्याय.
जो धर्म की पैदाइस है.
वहां इंसानियत पर हैवानियत राजा है.
जो कि सृष्टि और सृजन की तौहीन है.
धर्म मुरदा ही रहेगा.
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कोई भी धार्मिक किताब अथवा धार्मिक ग्रंथ.
इंसान और इंसानियत से बड़े नहीं हो सकते,
आदमी के बिना कोई धर्म जीवंत नहीं रह सकता.
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कर्मकांड से लिप्त धर्म.
आपके सोच-विचार, समझ, विवेक को जिंदा नहीं रहने देता,
विवेक की हत्या ही,
धार्मिक नींव है.