बूढ़े मां-बाप
बूढ़े मां-बाप
-क्या आशा करें औरों से
जब अपने मुख मोड़ जाते हैं
जब जवाब दे जाती काया
तब बच्चे भी छोड़ जाते हैं।
सच्चा मित्र तो जीवन साथी
जीवन का साथ निभातें हैं
एक कमाता, एक खिलाता
जन्मों की कसमें खाते हैं।
पापा तो साइकिल पर ही
रोज कमाने जाते थे
थके हारे जब भी लौटते
बच्चों को सैर कराते थे।
बच्चों को खुश रखने में
कोई कमी न रहती थी
क्या खिलाएं,क्या पहनाएं
माता को चिन्ता रहती थी ।
सदा स्नेह लुटाने वाले
क्यों अपनों से लाचार हुए
बगीचा लगाने वाले बागवां
क्यों बगिया में बेकार हुए।
ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर (हि० प्र०)