बूझो तो जानें (मुक्तक)
बूझो तो जानें (मुक्तक)
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पहेली यह,बूझो तो जानें।
बेचैन है कौन, कुर्सी पाने।
हसता उसपर, जग सारा;
कुछ जन,निज नेता माने।
बदल-बदल, अपना भेष।
वह बंदा, जाता है विदेश।
बुद्धि पायी है, पप्पू वाली;
सदा बांटता फिरे,उपदेश।
अज्ञानी वो, बड़ा निराला।
दाढ़ी सफेद, कोट काला।
कहलाए , नौजवान नेता;
हाथ करता,गड़बड़झाला।
मचाए वह , सदा ही शोर।
कौआ को कहता है, मोर।
वो आलू को,सोना बना दे;
मिले जो,देश की बागडोर।
भटक-भटक, सीखता मंत्र।
खतरे में लगे,उसे लोकतंत्र।
गोरे व पश्चिम से , है आशा;
कुर्सी पाने को, करे षडयंत्र।
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……..✍️पंकज कर्ण
कटिहार।