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2 Apr 2020 · 1 min read

बूंद थी में…

बूंद थी मैं तो तुम ने दरिया समझ लिया
ए दोस्त तुम ने ये क्या से क्या समझ लिय

बहुत बेचैन थी मैं कि कोई तो गले मिले
हाय… जिंदगी ने दुखों को साथी बना दिया

बहुत करीब तो नहीं थी मैं जाना फिर तुमने
किस तरह अपना मुझे पैरहन बना लिया

एक हाथ बढ़ाया तुम ने हमनवाई का और
मेरी गमजदा रतों को पुरसुकून कर दिया

कोई रुकता नहीं बहुत देर सिरहाने में मेरे
तुम भी छोड़ जाओगे मैंने यकीन कर लिया
~ सिद्धार्थ

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 420 Views
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