बूँद नयन से ढलकी कैसे
बूँद नयन से ढलकी कैसे
ऐसी हालत मन की कैसे
तुझको याद न आई है तो
आई मुझको हिचकी कैसे
सौंप दिया था मैंने सब कुछ
तेरी चाहत भटकी कैसे
इन्तजार यदि नहीं तुझे तो
खुली हुई ये खिड़की कैसे
अगर नहीं थी हसरत कोई
चूड़ी पायल खनकी कैसे
नयनों में तू टहल रही थी
आती मुझको झपकी कैसे