बुढ़ापे के दिन
राम कथा में
श्री राम चंद्र जी का
जो चरित्र
मुखरित हुआ है,
यदि आज का इंसान
उससे प्रेरणा लेता,
तो शायद !
वृद्ध-आश्रम का
नामोंनिशान न होता,
बूढ़ा पिता
या बूढ़ी मां
बुढ़ापे में
बहू-बेटों,
पोते-पोतियों से दूर
वृद्ध-आश्रम में
नहीं जाते,
बुढ़ापे के दिन
अभाव में
नहीं बिताते,
काश!
पश्चिमी बयार
यहां न चली होती,
हमारी संस्कृति
आज भी
सुदृढ़, यथावत
और
भली होती।
काश!……….
– विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
वार्ड नं0 1, गुलशन नगर, तोशाम
जिला भिवानी