बुढ़ापा
बुढ़ापा
=====
हाँ मै बूढ़ा हो गया हूँ
आँखों से कम दिखता है
कान बहरे हो गए हैं,
शरीर में झुर्रियों का कब्जा है,
सहारे के लिये लाठी तो बस
एक बहाना है,
बिना तुम्हारे सहारे के
अब कहीं न आना जाना है।
भोजन से ज्यादा
दवाएं खाता हू्ँ,
मरना तो कब से चाहता हूँ,
पर भर भी नहीं पाता हूँ।
जीने की लालसा अब नहीं बाकी
ऐसे जीने से अच्छा
मौत है काफी।
उपेक्षा, झिड़कियां
अब सहे नहीं जाते,
मर ही जाते तो
नाती पोतों की मार
तो नहीं खाते।
अरे कोई तो मेरी विनती
भगवान तक पहुंचा दो,
मेरी मौत का फरमान तो
करवा ही दो।
मैं जब मर जाऊँ तो
मेरी लाश
चील कौओं को खिला देना,
मुझे लौटकर अब
इस धरती पर दुबारा नहीं आना।
हे प्रभु!बह इतनी सी
फरियाद सुन लेना,
किसी का भी कभी
बुढ़ापा मत लाना।
✍सुधीर श्रीवास्तव