बुढ़ापा कैसा
बुढ़ापा कैसा,,,
आज से महज एक साल पहले की ही बात है,जब गर्मियों की छुट्टियां थी,हमारे गाँव मे एक चाचा जी और चाची जी,रहते है जो कि अभी उम्र के पूर्ण व्रद्ध नही है पर चाचा जी मध्यप्रदेश पुलिस से रिटायर्ड है तो अब अपने पैतृक गांव मे ही खेती और पुराने मकान पर आकर रहने लगे है तो चाची जी भी साथ ही रहती है,
उनको 2 लडके है जो शासकीय सेवक है शादी शुदा है दोनों की ही पत्नी भी शासकीय सेवक है उनके दोनों के एक एक बेटा,एक एक बेटी इस तरह से उनके परिवार मे चाचा,चाची, 2बेटे,2बहु,और और चार बचे सब मिलकर 10 सदस्य होते है,जो एक संयुक्त परिवार कहलाता है,,,
एक दिन अनायास ही उनके चाचा जी पास बैठने का मौका मिला क्योकि मैं भी सहायक अध्यापक हूं तो ऐसे ही चर्चा हुई,,
तो बो बोलो हमारा तो बुढापा है,,,बेटा तो मैं बोला जी कैसा बुढापा आपके तो जलबे है,
बोले कैसे?
तो मैं बोला कि आप के पास पेंशन है,खेती है,चाची है,2बेटे सक्छम है,2बहु है,नाती,नातिन,है,पूरा परिवार पढ़ लिखकर सबल है फिर आप कहा से बूढ़े है,तो बोले बेटा उसके पीछे ये सब जो आज परिवार सबल सफल है तेरी चाची जी का ज्यादा योगदान है,पुलिस की नॉकारी तो पता ही है,
पर आज अगर हम दोनों इस उम्र मैं भी साथ है,हमारे चेहरे पर झाई नही है,आंखे भी ठीक है,चलना फिरना,खाना पीना,सब एक दम सही है तो सिर्फ इस ग्रहस्थ की डोर रखने बाली तुम्हारी चाची जी के कारण है,,
और उस पर बच्चे दूर है पर गलत नही है वो सुख भी आज के समय मैं बड़ा आनन्दित करता है,,,
इस तरह से चाचा जी बोले अगर सही जीवन साथी मीले तो ढलती उम्र भी गेंडाफूल हो जाये,क्योकि,अगर परिवार के सदस्य और साथी ही हमे सुख से रहने दे तो दुनिया मे कौन है जो हमे दुख या दिक्कत दे सके,,
पति पत्नी लड़े न,बेटा बहु गलत करे न,नाती पोते राह भटके न,तो कोई दुख नही,और जब दुख नही तो क्या बचपन क्या जवानी क्या बुढापा सब मजे मैं हो जाता है,,
फिर मैं बोला कि सच है जितना पुरुष का धन,मकान,ज्यादाद,जमीन,बनाने जोड़ने मैं योगदान है उतना ही एक अच्छे जीवन साथी का होना भी पग पग जीवन के पथ पर होना बहुत जरूरी है,,,
इतने मैं ही वहाँ पर कम्मो दादी आई और जीनके चेहरे से ही पूर्ण बुढापा झलक रहा था,सफेद बाल,पिचके गाल,आंखे धंसी हुई,होंट कांपते,हाथ पैर थोड़ा साथ देते,,,क्योकि उनका बुढापा सच का बुढापा था,बिना सन्तान,बिना जीवन साथी का साथ,,
आज मुझे दो बुढ़ापे देखने मिले,,,
मानक लाल मनु,,,???