बुलावा
बुलावा लड़की देखने का आया
भरापूरा घर बन के वर का साया,
परिजन कई हुए तैयार जाने को
कुछ-कुछ हुआ क्या मन समाया?
यात्रा कर ट्रेन की पहुंचे दूर देश
हो ठीक घर-बार यही मन समाया,
सम्मान सत्कार आवभगत भी की
लडकी रिश्तेदारी मे, गया सुनाया।
तय नाव पर नदी मे होगी दिखाई
एक छोर वो दूजी वर पक्ष बिठाया,
चलती नाव मंद पवन के झोंके
इकटक लड़की देखे लड़का शर्माया।
गजब थी दिखाई बनी न कोई बात
फिर घर के कमरे मे मौका आया,
तन छरहरा उन्नत भाल अंग सुडौल
कद-काठी बोल बचन सब भाया।
हां न की वर ने घर जाके बताएंगे
कन्या चाची-क्या पसंद नही आया?
सुंदर सलोनी गौरवर्ण संस्कार युक्त
यूं दिल दुखा के, जाया नही जाता।
श्रेय चाची को समझदार महिला
समझ दिखाई औ विवाह कराया,
सामाजिकता जिनमे करो साथ
दुख-सुख बने काम समझ आया।
स्वरचित मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित
अश्वनी कुमार जायसवाल कानपुर 9044134297
सौभाग्यवती श्रीमती उमा जायसवाल को समर्पित