*बुलाता रहा (आध्यात्मिक गीतिका)*
बुलाता रहा (आध्यात्मिक गीतिका)
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(1)
तुम न आए ,तुम्हें मैं बुलाता रहा
जीते तुम और मैं मात खाता रहा
(2)
यह न थी शर्त तुम दौड़कर आओगे
धीरे-धीरे तुम्हें मैं रिझाता रहा
(3)
मैंने सोचा यही था आओगे तुम
देर तक इसलिए गिड़गिड़ाता रहा
(4)
न आना था तो फिर नहीं आना था
चाहे मैं लाख तुमको मनाता रहा
(5)
आए तो एक झरना बहा जिस तरह
देर तक मैं तुम्हीं में नहाता रहा
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रचयिता :रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451