बुलबुल का शोक गीत
मैं उस बगिया की
बुलबुल हूं
अब तक जो नहीं
आबाद हुई!
दिल में जो ख़ुशी की
नज़्म उठी
होठों पर आकर
फ़रियाद हुई!!
शिकारी से मिलकर
माली ने
हाय, ऐसी-ऐसी
चाल चली!
जो थोड़ी-बहुत
उम्मीद थी
वह भी आजकल
बर्बाद हुई!!
Shekhar Chandra Mitra
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